BED Course Rule Change: भारतीय शिक्षा प्रणाली, विशेषकर शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में, एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed) कोर्स के संचालन को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है, जिसका असर देशभर के हजारों शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों और लाखों छात्रों पर पड़ेगा।
यह B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप शिक्षकों की गुणवत्ता और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है NCTE की नई गाइडलाइन और B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव?
NCTE द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइन के अनुसार, अब देश में अकेले सिर्फ B.Ed कोर्स चलाने वाले स्टैंडअलोन शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को अनुमति नहीं दी जाएगी। NEP 2020 की सिफारिशों के तहत, सभी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को अनिवार्य रूप से बहु-विषयक (Multidisciplinary) संस्थानों में बदलना होगा या किसी मौजूदा बहु-विषयक संस्थान के साथ विलय करना होगा।
इसका सीधा मतलब है कि भविष्य में B.Ed की डिग्री केवल उन्हीं कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से मिलेगी जहां अन्य विषयों जैसे कला, विज्ञान, वाणिज्य आदि की पढ़ाई भी होती हो।
B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक बनने वाले छात्रों को केवल पेडागॉजी (शिक्षण शास्त्र) का ही नहीं, बल्कि अन्य विषयों का भी व्यापक ज्ञान मिले, जिससे वे छात्रों को समग्र शिक्षा प्रदान कर सकें।
स्टैंडअलोन B.Ed कॉलेजों का भविष्य: 2030 की डेडलाइन
NCTE ने स्पष्ट किया है कि देश भर में चल रहे लगभग 15,000 से अधिक स्टैंडअलोन शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों को साल 2030 तक खुद को बहु-विषयक संस्थानों में बदलना होगा। जो संस्थान ऐसा करने में विफल रहेंगे, उनकी मान्यता समाप्त हो सकती है। यह B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव संस्थानों के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसे आवश्यक माना जा रहा है।
विलय के नियम और प्रक्रिया
नई गाइडलाइन में संस्थानों के विलय के लिए दूरी के आधार पर नियम भी बनाए गए हैं:
3 किलोमीटर की परिधि: यदि कोई स्टैंडअलोन B.Ed कॉलेज किसी डिग्री कॉलेज के 3 किलोमीटर के दायरे में है, तो उसे उसी डिग्री कॉलेज के साथ विलय करना होगा।
10 किलोमीटर की परिधि: यदि 3 किलोमीटर के दायरे में कोई डिग्री कॉलेज नहीं है, तो 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित किसी डिग्री कॉलेज के साथ विलय का विकल्प रहेगा।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और छात्रों को एक एकीकृत शैक्षिक वातावरण मिले।
छात्र संख्या और कोर्स की अवधि पर प्रभाव
B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव छात्र संख्या पर भी लागू होता है। नए नियमों के तहत, बहु-विषयक संस्थानों में B.Ed कोर्स की प्रत्येक कक्षा (यूनिट) में अधिकतम 50 छात्रों को ही प्रवेश दिया जा सकेगा। इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना और व्यक्तिगत छात्र पर ध्यान केंद्रित करना है।
इसके साथ ही, NEP 2020 के तहत 4-वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे भविष्य में शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता बनाने का लक्ष्य है।
हालांकि, हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, NCTE पोस्ट-ग्रेजुएशन करने वालों के लिए 1-वर्षीय B.Ed कोर्स को भी वापस लाने पर विचार कर रही है, जो संभवतः 2026-27 सत्र से शुरू हो सकता है।
इस पर अंतिम निर्णय और स्पष्ट दिशानिर्देश आने बाकी हैं।
वर्तमान B.Ed छात्रों का क्या होगा?
जो छात्र वर्तमान में स्टैंडअलोन B.Ed कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। NCTE की गाइडलाइन के अनुसार, इन छात्रों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी। संस्थान विलय की प्रक्रिया के दौरान भी अपना संचालन जारी रखेंगे और मौजूदा छात्रों को अपना कोर्स पूरा करने का अवसर मिलेगा। B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव भविष्य के छात्रों और संस्थानों पर लागू होगा।
निष्कर्ष: बेहतर शिक्षक, बेहतर भविष्य
B.Ed कोर्स का सबसे बड़ा बदलाव और NCTE की नई गाइडलाइन भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
बहु-विषयक संस्थानों पर जोर देने से न केवल शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है, बल्कि छात्रों को अधिक समग्र और व्यापक शिक्षा का अनुभव भी मिलेगा। हालांकि संस्थानों के लिए यह परिवर्तन चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह देश की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।
इच्छुक उम्मीदवारों और मौजूदा संस्थानों को सलाह दी जाती है कि वे NCTE की आधिकारिक वेबसाइट (ncte.gov.in) पर नवीनतम अपडेट और दिशानिर्देशों के लिए नजर बनाए रखें।
नोट: अस्वीकरण: यह लेख उपलब्ध जानकारी और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। नवीनतम और सटीक जानकारी के लिए कृपया NCTE की आधिकारिक घोषणाओं और वेबसाइट देखें।